ग्रामीण पर्यटन में सराहनीय कार्य करने के लिए जनपद बहराइच के कारिकोट गांव को नई दिल्ली में आईसीआरटी अवार्ड-2025 से किया गया सम्मानित

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ग्रामीण पर्यटन में सराहनीय कार्य करने के लिए जनपद बहराइच के कारिकोट गांव को नई दिल्ली में आईसीआरटी अवार्ड-2025 से किया गया सम्मानित 

ग्रामीण पर्यटन अन्य गावं के लिए बना रोल मॉडल कारिकोट : मंत्री जयवीर सिंह 

ओजस्वी किरण ब्यूरों

लखनऊ। होम-स्टे के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए बहराइच जनपद के कारिकोट गांव को 13 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में इंडियन सबकांटिनेंटल रिस्पांसिबल टूरिज्म आईसीआरटी अवार्ड-2025 से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बहराइच के मुख्य विकास अधिकारी मुकेश चन्द्र, ग्राम सचिव सुशील कुमार सिंह तथा कारिकोट के ग्राम प्रधान श्रीमती पार्वती को प्रदान किया। सतपाल महाराज ने पुरस्कार प्राप्त करने पर कारिकोट के प्रधान सहित ग्रामवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्टे उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जनपदों तथा उत्तराखण्ड के पर्वतीय इलाकों में काफी लोकप्रिय हो रहा है। मा0 प्रधानमंत्री जी ने इस वर्ष पूरे देश में इस नवाचार के रूप में अपना कर स्थानीय रोजगार तथा ग्रामीणों की आमदानी बढ़ाने के लिए इसकी शुरूआत की थी।

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने यह जानकारी आज यहां देते हुए बताया कि कारिकोट गांव को मिला यह सम्मान पर्यटन विभाग के प्रयासों का परिणाम है। गांव ने ग्रामीण पर्यटन में विशेष पहचान बनाई है। सीमा पर्यटन जैसी अभिनव पहल भी की है। इन प्रयासों से स्थानीय समुदाय, खासकर युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिला है। साथ ही गांव की संस्कृति, व्यंजन, हस्तशिल्प और लोक कलाओं को नई पहचान मिली है। उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पांसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) द्वारा कारिकोट गांव को ‘शांति एवं आपसी समझ’ श्रेणी में प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया है। निर्णायक मंडल द्वारा इस उपलब्धि के लिए गांव को सिल्वर श्रेणी में यह पुरस्कार दिया गया। आईसीआरटी द्वारा दिए जाने वाले ये पुरस्कार जिम्मेदार और सतत पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कारिकोट गांव के लिए यह उपलब्धि ग्रामीण पर्यटन मॉडल को और मजबूत करने तथा शांति, सद्भाव और समावेशिता के मूल्यों को आगे बढ़ाने में प्रेरणा बनेगी।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि कारीकोट गांव भारत-नेपाल सीमा और हरे-भरे कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित है। यह गांव जिम्मेदार पर्यटन (रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म) के एक वैश्विक मॉडल के रूप में उभरा है। कारीकोट गांव के किसान ग्रामीण पर्यटन के अलावा बड़े पैमाने पर हल्दी की खेती करते हैं। उन हल्दी को तैयार करने की जिम्मेदारी ग्रामीण महिलाओं पर है। हल्दी की खेती से महिलाएं जहां आत्मनिर्भर हुई हैं, इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी होता है। स्थानीय थारू समुदाय सहित समाज के अन्य लोगों की भागीदारी क्षेत्र में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है।

विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया ने बताया प्रदेश में ग्रामीण पर्यटन को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। ‘उत्तर प्रदेश ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट एवं होम स्टे नीति-2025’ सहित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से रूरल टूरिज्म को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में कारिकोट गांव को मिला सम्मान विभागीय प्रयासों और ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में की गई ठोस पहल का परिणाम है।

कारीकोट सेंक्चुरी एरिया से घिरा क्षेत्र है, जहां विभागीय सहयोग से ग्रामीण पर्यटन और होम स्टे ने गांव की तस्वीर बदल दी है। इससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है। कारिकोट के पास नेपाल की दो नदियों गेरुआ और कोरियाला का संगम अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। यहां सिंचाई विभाग द्वारा बनाए गए डैम को देखने का भी पर्यटकों में खास आकर्षण है। आगंतुकों को क्षेत्र हरीतिमा, जैव विविधिता, स्थानीय जीवनशैली, व्यंजन और हल्दी की खेती होते देखने का सुखद अनुभव मिलता है। प्रदेश और पड़ोसी राज्यों से यहां बड़े पैमाने पर पर्यटक आते रहते हैं।

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