झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई, हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई
वार्ड की खिड़की तोड़कर 39 बच्चों को सुरक्षित निकाला गया। घटना रात करीब साढ़े 10 बजे की है
ओजस्वी किरण डेक्स
लखनऊ / झाँसी। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) में शुक्रवार रात में भीषण आग लग गई। हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई। वार्ड की खिड़की तोड़कर 39 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। घटना रात करीब साढ़े 10 बजे की है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के चलते आग लगी, फिर धमाका हो गया। इसके बाद पूरे वार्ड में आग फैल गई। सूचना पर फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां पहुंचीं और 2 घंटे में
आग पर काबू पाया। इधर, हादसे के बाद सीएम योगी ने हाईलेवल मीटिंग की। उन्होंने कमिश्नर और DIG को 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिए।
सुबह 5 बजे झांसी पहुंचे डिप्टी सीएम और हेल्थ मिनिस्टर ब्रजेश पाठक ने कहा- हादसे की 3 जांच होगी। पहली – स्वास्थ्य विभाग करेगा। दूसरी- पुलिस करेगी। तीसरा – मजिस्ट्रेट से जांच कराई जाएगी।

अगर कोई चूक पाई जाती है, तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। सीएम योगी ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए देने का ऐलान किया है। घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपए देने की घोषणा की है। जांच रिपोर्ट कब तक आएगी। इस सवाल पर डिप्टी सीएम ने कहा- 24 घंटे में प्राथमिक रिपोर्ट आएगी । उसके बाद मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट जैसे ही मिलेगी, वैसे ही हम कार्रवाई करेंगे।डिप्टी सीएम बोले- ऑक्सीजन की वजह से आग लगी, इसलिए तेजी से भड़की डिप्टी सीएम ने बताया- आग लगने के बाद वार्ड ब्वाय ने फायर फाइटिंग के सिलेंडरों को खोलकर चलाया, लेकिन आग ऑक्सीजन की वजह से लगी थी, इसलिए तेजी से भड़क गई। स्टाफ और परिजनों ने मिलकर बच्चों का रेस्क्यू किया। डिप्टी सीएम बोले अभी तक इन शवो की पहचान अभी तक नहीं हुई डिप्टी सीएम ने कहा- फरवरी में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया गया था। जून में मॉक ड्रिल भी की गई थी। यह घटना कैसे हुई और क्यों हुई, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हम इस बारे में कुछ कह सकते हैं।
सात नवजात शिशुओं के शवों की पहचान कर ली गई है, तीन शवों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। नवजात शिशुओं के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। 16 बच्चों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया
पुलिस के मुताबिक, हादसे के बाद 16 बच्चों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया। 7 बच्चे निजी अस्पताल में भर्ती है। 6 बच्चों के परिजन अभी तक नही मिले हैं।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा- नवजात शिशुओं की मौत बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर हम नवजात शिशुओं के शवों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। पहली जांच प्रशासनिक स्तर पर होगी, जो स्वास्थ्य
विभाग करेगा, दूसरी जांच पुलिस प्रशासन करेगा अग्निशमन विभाग की टीम भी इसमें शामिल होंगी,तीसरा, मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश भी दिए गए हैं। आग लगने के कारणों की जांच की जाएगी। अगर कोई चूक पाई जाती है, तो जो भी जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और
किसी को भी बख्शा नहीं जाएग। सरकार बच्चों के
परिजनों के साथ है। कमिश्नर बोले कि अंदर की ओर से लगी आग कमिश्नर विमल दुबे ने बताया कि अधिकांश बच्चों
को बचा लिया गया है। NICU वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है।मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि सिलेंडर ब्लास्ट के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। कुछ देर तक समझ नहीं आया कि क्या हुआ। लेकिन अस्पताल कर्मचारियों ने जब NICU वार्ड से धुंआ निकलते देखा तो वहां अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल के कर्मचारी शिशु वार्ड की तरफ भागे। रोते-बिलखते बच्चों के परिजन भी उनके पीछे-पीछे
भागे। हालांकि, आग की लपटों और धुएं की वजह से कोई वार्ड में नहीं घुस पाया।
मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम ने खिड़की का शीशा तोड़कर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। बच्चों को NICU में रखा गया। इसके दो पार्ट थे। अंदर की तरफ क्रिटिकल केयर यूनिट थी। यहीं पर सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है। क्योंकि एंट्री और एग्जिट के लिए एक ही रास्ता था। जिसमें धुआं भर गया था। रेस्क्यू नहीं हो सका । हॉस्पिटल में फायर अलार्म सिस्टम लगे थे, सूत्रों के मुताबिक, इनका मेंटेनेंस नहीं करवाया गया था। इससे अलार्म नहीं बजा, वर्ना ज्यादा बच्चों को बचाया जा सकता था। परिजन के आरोप हैं कि बच्चों को पैरामेडिकल स्टाफ ने बचाया ही नहीं। वह भाग गए। डॉक्टर
और पैरा मेडिकल स्टाफ इस हादसे में जले नहीं हैं, सभी सुरक्षित हैं।दमकल कर्मी मुंह पर रुमाल बांधकर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे रहे। वार्ड में आग लगने के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा। माना जा रहा है कि अगर समय से सेफ्टी अलार्म बज जाता तो इतनी बड़ी घटना होने से रोकी जा सकती थी।
झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा, ‘NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे,
अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई, आग बुझाने की कोशिश की गई, लेकिन आग तुरंत फैल गई थी। डीएम अविनाश कुमार ने कहा- बाहर की तरफ जो बच्चे थे, वो बचा लिए गए। अंदर की तरफ जो बच्चे थे, वो काफी झुलस गए। 10 बच्चों की मौत हो गई। शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट
देगी।
संतरा ने कहा- मेरे बेटे-बहू राज किशन – सविता का बेटा हुआ था। वह वार्ड में भर्ती था। हम दवा लेने गए थे। तभी आग लग गई। हम उसे उठा नहीं पाए सभी लोग चिल्लाने लगे- आग लग गई, आग लग गई। हम अंदर नहीं जा पाए। हमारा बच्चा हमें नहीं मिल पाया है। डॉक्टर अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। रोते-बिलखते एक बदहवास दंपती ने कहा – 9 तारीख से मेरा बच्चा भर्ती था, डॉक्टर की कमी से मेरे बच्चे की मौत हो गई। मेरा बच्चा यहीं जन्मा, जिसे ऑक्सीजन पर रखा गया था। मेरा बच्चा नहीं मिला। कम से कम 50 बच्चे भर्ती थे, आधे बचे-आधे मर गए हैं। महोबा के रहने वाले परिजन ने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टर भाग गए। अगर ऐसा
नहीं होता तो डॉक्टर या नर्स भी मरने चाहिए थे।10-12 बच्चे हमें खुद जले हुए दिखे। हम तो अस्पताल के ही बाहर थे, धुआं देखकर आग का पता चला। ये आग कैसे लगी, ये हमें नहीं पता।

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