पत्रकारिता मजबूरी का पेशा नहीं, एक जुनून है, आर्थिक संकट को अपनी विश्वसनीयता पर न होने दें हावी- जिलाधिकारी

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पत्रकारिता मजबूरी का पेशा नहीं, एक जुनून है, आर्थिक संकट को अपनी विश्वसनीयता पर न होने दें हावी- जिलाधिकारी

 ओजस्वी किरण ब्यूरो मैनपुरी

मैनपुरी।  श्रीदेवी मेला एवं ग्राम सुधार प्रदर्शनी के कादंबरी रंग-मंच पर आशीष धूसिया के संयोजकत्व में आयोजित प्रांतीय पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि पत्रकारिता कोई व्यवसाय नहीं बल्कि एक जुनून है, पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, पत्रकारिता व्यक्तिगत रुचि का विषय है, यह मजबूरी का पेशा नहीं है, पत्रकारिता एक प्रोफेशनल से बढ़कर बहुत कुछ है, पत्रकारों ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आज भी समाज को दिशा देने का कार्य कर रहे है। उन्होेंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास पढने से ज्ञात होता है कि जितने भी महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए है, वह सब अच्छे साहित्यकार, पत्रकार, विद्वान थे, यह तीनो चीज़े साहित्यकार, पत्रकार और विद्वान एक दूसरे के पूरक हैं बल्कि एक दूसरे के पर्यायवाची हैं।

श्री सिंह ने उपस्थित पत्रकारों से कहा कि कलम के सिपाही, कुशल वक्ता आप हैं, सरस्वती देवी आपकी कंठ में हैं। उन्होंने कहा कि आज मीडिया का स्वरूप बदला है, आज मीडिया सिर्फ लिखने-पढ़ने तक सीमित नहीं है, मीडिया क्षेत्र में भी निरंतर तेजी से बदलाव हो रहे हैं और जब किसी क्षेत्र में बदलाव होते हैं तो जिम्मेदारियां और अधिक बढ़ जाती हैं, बदलते हुए समय, परिस्थितियों के साथ अपने चौथे स्तंभ की पावन भावना को कायम रखने की चुनौती भी आप लोगों के सामने हैं, किस तरह जनता का विश्वास जीता जाए यह भी समस्या निरन्तर बनी हुयी है। उन्होंने कहा कि आज पढ़ने वालों की बहुत कमी है लेकिन सुनने वालों की बहुतायात है क्योंकि हम परिश्रम नहीं करना चाहते लिखने में परिश्रम लगता है इसलिए ज्यादा लोग सुनने पर विश्वास करते है। उन्होंने कहा कि 1936 में प्रगतिशील लेखक संघ का सम्मेलन हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रेमचंद जी ने की, प्रेमचंद ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा था कि साहित्यकार केवल समाज की सच्चाई को बताने वाले लोग नहीं होने चाहिए या साहित्य समाज का दर्पण है यहां तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि साहित्यकार और पत्रकार को समाज के आगे मशाल लेकर चलना चाहिए, समाज को मार्गदर्शन देने का उत्तरदायित्व आपको सौपा गया है, आपका मार्गदर्शन कौन कर सकता है।

जिलाधिकारी ने उपस्थित पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहा कि आपके जुनून में आर्थिक संकट आ सकता है लेकिन आपने इसको अपनी रुचि से चुना है यदि आर्थिक संकट आए तो सत्य की राह न छोड़ें, अपनी विश्वसनीयता कायम रखें और तंत्र को राह दिखाने का कार्य करते रहे, जब आपकी विश्वसनीयता रहेगी तो हमें न चाहते हुए भी जो आप दिखाना चाहेंगे उसे देखना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि 1930 में मतवाला नामक समाचार पत्र प्रकाशित हुआ था, उसकी हैडलाइन बहुत आकर्षित करती थी जो आज भी आप लोगों पर सटीक बैठती है, आप सबको अपने कार्य क्षेत्र में अमृत, विष, राग-विराग, चंद्रमा की शीतलता, सूर्य की गर्मी सभी का सामना करना पड़ता है।

जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक ने स्व. मुकुट बिहारी नवरत्न, स्व. बृज किशोर सक्सेना (किशोर इटावी), स्व. कैलाश तिवारी, स्व. रामबाबू मिश्रा, स्व. सतीश गौड़, स्व. जहीर रहीमी, स्व. प्रकाश चंद्र जैन, स्व. प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी के मरणोपरांत स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनके परिवारीजनों को सम्मानित किया। कार्यक्रम के संयोजक, कार्यक्रम प्रभारी, सह संयोजक आदि ने जनपद, अन्य जनपदों से पधारे प्रेस प्रतिनिधियों को अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

इस दौरान प्र. कार्यक्रम कन्हैया लाल धूसिया, सौरभ जैन, सह संयोजक अमित जौहरी, सदस्य प्रेस मान्यता समिति अशोक नवरत्न, वरिष्ठ पत्रकार अनिल त्रिपाठी, परवेज आलम, विजय साहू, सिराज अहमद के अलावा विकास कुलश्रेष्ठ, मनीष तापड़िया, संरक्षक राजीव कुलश्रेष्ठ, राजू सक्सेना, डॉ. सुमंत गुप्ता, वीर सिंह भदौरिया, संजीत गौड़, किशन दुबे, आशीष पांडेय, आराधना गुप्ता, प्रीति चौहान, डॉ. सूर्यमोहन सक्सेना, गोपाल कुलश्रेष्ठ, नवल किशोर धूसिया, कन्हैया कुलश्रेष्ठ, पवन सक्सेना, मृदुल रायजादा आदि उपस्थित रहे, कार्यक्रम का संचालन डा. चन्द्रमोहन ने किया।

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